कोरोना हारेगा [Hindi Poem on Corona]

सभी वायरस और बेक्टेरिआ ने मीटिंग है बुलवाई,
 ना जाने क्या अचानक उनके मन में आई।

एक आलसी बोला क्यों कर है बुलवाया,
ऐसा क्या आपातकाल अपनी जान को आया।

क्या इंसानों ने फिर से कोई घातक यन्त्र बनाया,
या फिर अपनी फ़ौज को हमरे लिए लगाया।


दूजा बोला मूर्ख कहीं के, नहीं पता क्या तुझको,
नहीं जानता हमें कोई अब, दुनिया ने भुला दिया है हमको।


एक चाइना वाले ने ऐसा आतंक मचाया है,
सारी दुनिया पर वह मौत का बादल बन छाया है।


हम सबके जीवन में भी, ये रेसिसन आया है,
हमने कुछ भी किया है गर, पर नाम उसी का आया है।


डेंगू वाला वायरस बोला, ये कैसी अनहोनी है,
चाइना से आई कोई चीज़, क्या इतनी चालू होनी है।


घडी, टैब सब बंद हो गये, किस्मत का सूरज ढल ग्या,
चाइना का ये माल न जाने, इतना कैसे चल ग्या।


ये तो हम सबसे भी ज़्यादा धूर्त, क्रूर है लगता,
सुना शिकार के लिए ये तो वर्ल्ड टूर है करता।


सब देशों में फ़ैल-फ़ैल के सबकुछ छीन लिया है,
सारी खुशियों को उसने जहाँ से बीन लिया है।


अब बोलो हम क्या करेंगे, कैसे सर्वायव करेंगे,
ये हालात तो एक-एक कर हमको गायब करेंगे।



बुजुर्गवार बोले घबराओ नहीं, धैर्य रखो मेरे प्यारो,
कुछ दिन लोकडाउन समझके घर में बैठो यारो।


ये मानव हैं चंद समय में, विजय भी ये पालेगा,
कोरोना को भी जल्दी, ये निरस्त्र कर डालेगा।


हे इंसानों! धैर्य रखो तुम, हर संकट पार किये हो,
यूँ ही थोड़े ही विकसित तुम, ये संसार किये हो।






















































Comments

Popular posts from this blog

Andhvishwas ek kahani Part-4 [Story in Hindi]

सोने की चिड़िया- भाग-१

फ़रेब