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छिप-छिप अश्रु बहाने वालों

This is one of my favourite poem from NEERAJ Ji छिप-छिप अश्रु बहाने वालों, मोती व्यर्थ बहाने वालों कुछ सपनों के मर जाने से, जीवन नहीं मरा करता है | सपना क्या है, नयन सेज पर सोया हुआ आँख का पानी और टूटना है उसका ज्यों जागे कच्ची नींद जवानी गीली उमर बनाने वालों, डूबे बिना नहाने वालों कुछ पानी के बह जाने से, सावन नहीं मरा करता है | माला बिखर गयी तो क्या है खुद ही हल हो गयी समस्या आँसू गर नीलाम हुए तो समझो पूरी हुई तपस्या रूठे दिवस मनाने वालों, फटी कमीज़ सिलाने वालों कुछ दीपों के बुझ जाने से, आँगन नहीं मरा करता है | खोता कुछ भी नहीं यहाँ पर केवल जिल्द बदलती पोथी जैसे रात उतार चाँदनी पहने सुबह धूप की धोती वस्त्र बदलकर आने वालों, चाल बदलकर जाने वालों चँद खिलौनों के खोने से, बचपन नहीं मरा करता है | लाखों बार गगरियाँ फ़ूटी, शिकन न आयी पर पनघट पर लाखों बार किश्तियाँ डूबीं, चहल पहल वो ही है तट पर तम की उमर बढ़ाने वालों, लौ की आयु घटाने वालों, लाख करे पतझड़ कोशिश पर, उपवन नहीं मरा करता है। लूट लिया माली ने उपवन, लुटी ना लेकिन गंध फ़ूल की तूफ़ानों ने तक छेड़ा पर,

AAJA

Mohlat mile agar mujhe kuch pal tere sath rehne ki kah dunga tujhse jo hai har baat kehne ki fir chaahe to dhadkan ki rawaani na ho na koi bol mere ho aur meri koi kahani na ho khala bas yahi hai ki sabkuch dil me dafan hai usi ki becheni hai  bas aur usiki dhadhakti  agan hai isiliye ek baar mere dil ko khali karne tu aaja ye bekaraari ke jakhmo ko bharne tu aaja Tadapta hu main aarzu me teri ,tadap ko meri dur karne tu aaja sanwaardu tujhe chahat se apni bas ek baar sanwarne tu aaja