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Showing posts from 2020

International Day of UN Peacekeepers| 2020 Theme

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" To honor the peacekeepers and to pay tribute to the  martyrs in the peacekeeping operations under the UN flag this day is celebrated as International Day of UN Peacekeepers. Those peacekeepers who are still working for this cause when Pandemic Covid-19 has taken whole world into it's claws." International Day of UN Peacekeepers[29th May] It was designated as International Day of UN peacekeepers on 29th May 1948. This is the date when first UN peacekeeping mission "United Nations Truce Supervision Organization" (UNTSO) began it's operation in Palestine. This is the day to pay the tribute to the personnel  who are working for this mission with dedication, enormous determination, perseverance and courage, and commemorate those who sacrificed their life for peacekeeping.  International day of UN peacekeepers 29 May Since it's Inception in 1948, 3900 people including civilians, Police and military personnel were died due to the unfortuna

[SAVE THE NATURE] प्रकृति माँ का प्यार

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" वन्य जीव मनुष्यों के क्षेत्रों में स्वछंद होकर विचरण कर रहा है मानो कह रहा हो कि "आली रे आली ,आता माझी बारी आली" । पांच तत्वों का हाल देखिये जिनसे हम बने हैं और जो प्रकृति माँ हमें देकर जीवन के चक्र को चलाती जा रही थीं आज हमने  उन्हें प्रदूषित करके उनको ही व्यवसाय बना दिया है। छोटे कदम ही सही  लेकिन जब अरबों छोटे कदम बढ़ेंगे तो परिणाम का अंदाजा हम लगा सकते हैं। " हिमालय की चोटियाँ अब फिर  से दृष्टिगोचर होने लगी हैं ,नदियों का पानी साफ़ होने लगा है। सांस लेने में सहजता  का आभास होने लगा है ,गगन भी अब पहले से साफ़  दिखाई दे रहा है धुंध और धुएं का फर्क नज़र आने लगा है । वन्य जीव मनुष्यों के क्षेत्रों में स्वछंद होकर विचरण कर रहा है मानो कह रहा हो कि "आली रे आली ,आता माझी बारी आली" । जैसे कल तक हम उनके क्षेत्रों  में विचरण किया करते थे। Himalayan Beauty ,the Serenity ,River Tista क्या ये कुछ अलग है,चमत्कार है या जादू है ? नहीं ये तो पहले से था ये तो माँ प्रकृति का सुन्दर रूप था जिसे हमारी महत्वाकांक्षाओं की गर्द ने इस तरह ढक दिया कि अब हमारी नई पी

How to use the Snipping tool?[Learn in 4 steps in Hindi]

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आजकल लेखन सामग्री में हमें जिन चीज़ों के लिए हमें संवाद करने की आवश्यकता होती है, उन्हें उचित या विस्तृत करने के लिए किसी तस्वीर या पृष्ठ के किसी विशेष भाग के कई स्नैपशॉट की आवश्यकता होती है। इसलिए, हमें एक ऐसे उपकरण की आवश्यकता है जो लीड समय को बढ़ाए बिना हमें इन मुद्दों से छुटकारा पाने में मदद कर सके। स्निपिंग टूल उनमें से एक है। लेकिन कुछ लोग जो जानना चाहते हैं कि यह क्या है? इसका उपयोग कैसे किया जा सकता है?   यहाँ आप के लिए समाधान है। स्निपिंग टूल क्या है? स्निपिंग टूल वह टूल है जो वांछित विवरण के वांछित कट को लेना आसान बनाता है जो एक बड़ी तस्वीर बनाता है। ईमेल लिखते समय या कुछ पीपीटी बनाते समय पाठ और / या छवि के महत्वपूर्ण विवरणों को सम्मिलित करने के लिए स्नैपशॉट लेना आवश्यक है। यहां आपको स्निपिंग टूल के उपयोग को समझने के लिए स्टेप बाई स्टेप स्नैपशॉट मिलेगा। 1. तस्वीर या पेज चुनें, जिसका स्नैप कैप्चर किया जाना है। इस पृष्ठ से हमें केवल कपास लेने की जरूरत है जो कि ऊपर दाहिने कोने में दिखाया गया है। 2. अब स्निपिंग टूल चुनें: - या तो इसे सभी कार्यक्रमों से प्

[BEST QUOTES OF 2020] सब कुछ कहाँ कह पाते हैं

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कहलाया वो सूतपुत्र [ Poem in Hindi about Karn]

था महावीर, था शूरवीर, था महाधनुर्धर, था सूर्यपुत्र पर कहलाया वह सूतपुत्र। अपमानो के कांटो से। बिंधता था जिसका रोम रोम। वो धैर्यवान, वह महापुरुष।  कहलाया जो सूतपुत्र॥ था साहस और ललक भी थी। पर गुरु ने शिक्षा का किया निषेध। एक और उपेक्षा कि असि से। हुआ था घायल वह सूतपुत्र॥ परशुराम से ज्ञान भी पाया, पर फिर शापित हो उसे गंवाया। कितनी विकट परिस्थितियों से।  लड़ा अकेला वह सूर्यपुत्र॥ लोक लाज से त्यागा था। वो माँ के हाथों भी छला गया। क्या सह सकता था इतनी पीड़ा।  गर होता वह कोई सूतपुत्र॥  कवच दिया कुण्डल भी दिए। पर नाम जिसे ना दिया गया। कितने अग्नि कुंडों से। पार हुआ वह सूर्यपुत्र॥ उस सम दानवीर न कोई। ना कोई योद्धा ही बना। कुल का नहीं प्रतिभा से नाता। इसलिए लड़ा वह सूर्यपुत्र॥ दिया दान में कवच भी अपना।  मृत्यु को अंगीकार किया।  मैत्री का ऋण चुकाने हेतु। धर्म विरुद्ध लड़ा वह सूर्यपुत्र॥ क्या उसका कद था लेकिन। नहीं मिला वह पद उसको। जीवन पर्यन्त शापित सा।  जीता रहा वह सूर्यपुत्र॥ मरणोपरांत गर मिला था सबकुछ। क्या

एक अद्भुत प्रेम कहानी [Short story in Hindi about life]

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अभिनीत: - मृत्यु -नायक                   जीवन- नायिका                  समय- खलनायक कहानी मृत्यु के प्रस्ताव के साथ शुरू होती है, बस उसी क्षण से जब जीवन जन्म लेता है। मृत्यु जीवन को उसकी पत्नी होने का प्रस्ताव देती है। लेकिन समय खलनायक की भूमिका निभाता है जो उन्हें एक दूसरे से अलग रखता है।     मौत और समय के बीच लड़ाई शुरू होती है। वह क्षण जहां समय मृत्यु से अधिक मजबूत हो जाता है, जीवन मृत्यु की ओर नहीं झुकता, जिसे हम अपनी भाषा में भाग्य कहते हैं। जब मौत समय से टकराती है, तो इसका परिणाम कभी-कभी जीवन और मृत्यु के बीच होता है, जिसे हमारी भाषा में "दुर्घटना" कहा जाता है। कोमा, ब्रेन हेमरेज, हार्ट अटैक, ब्रेन ट्यूमर बड़े हमले हैं, समय कुछ भी नहीं कर सकता है और मृत्यु उसके साथ अपने प्यार को ले जाती है। जबकि कभी-कभी समय पुनर्जीवित हो जाता है और वह मृत्यु को जीवन में उतारने से रोकता है, जिसे हमारी भाषा में "चमत्कार" कहा जाता है। लेकिन कभी-कभी मृत्यु को जीवन के जन्म के समय प्यार मिलता है, कभी-कभी जन्म से पहले। दूसरी ओर समय मौत की आँखों में आँसू लाता है क्योंकि व

सोने की चिड़िया- भाग-२

आज हमारे राजनेता हमें आपस में लड़ाकर इस देश की प्रगति को रोक रहे हैं। हमारे देश के इतने अवरोधक तो शायद अंग्रेज़ों के समय भी नहीं रहे होंगे। विभाजन के समय भारत के दो टुकड़े हुए लेकिन आज़ादी के साठ वर्ष पश्चात अनगिनत टुकड़े हैं ,  भाषा के आधार पर ,  क्षेत्र के आधार पर ,  जाति के आधार पर और ये सब सिर्फ़ भारत की प्रगति के समय को आगे धकेलते जा रहे हैं। हमें इन सब से निकलना होगा।    एक तो हमारे यहाँ इन राजनीति में आने वालों के लिए कोई शैक्षिक अर्हता नहीं है। जिन्हें ये नहीं पता कि लोक सभा में कितनी सीटें होती हैं वह लोक सभा चुनाव के उम्मीदवार होते हैं। उल्टा उनके मंत्रालयों में नौकरी पाने के लिये उच्चतम शिक्षित होने के साथ और भी कुशलताओं का होना अनिवार्य है क्योंकि जिम्मेदारियों से भरा काम है और नेता अनपढ़ हो ,  आपराधिक प्रवृति का हो तब भी वह हमारा नेता बनकर आता है। आज हमारे देश में जितने राज्य नहीं उनसे कई गुनी पार्टियाँ हैं।  1947  में हमारे देश का पार्टीशन हुआ था और आज "पार्टी" शन है। जितनी पार्टियाँ उतनी विचारधाराएँ परन्तु विचार एक कि मेरी पार्टी सत्ता में आये और कभी न जाये। क

सोने की चिड़िया- भाग-१

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24 सितंबर 2014 को जब मंगल यान सफलतापूर्वक मंगल पर पहुँचा तब पूरे देश में एक गौरवशाली उत्सव मनाया जाने लगा। हर तरफ देशभक्ति की लहर दौड़ने लगी , क्यूँ ना हो आखिर इस सफलता के बाद भारत के अतिप्रतिभाशाली वैज्ञानिकों ने पूरे विश्व में अपने देश को अंतरिक्ष सक्षमता में सम्पूर्ण रूप से दक्ष बनाके अपना लोहा मनवा दिया। Image source:- wikipedia अच्छा लगता है जब हमारा देश विश्व की रफ़्तार से कदम मिलाकर चलता है। इससे ना सिर्फ़ देश का अपितु देशवासियों का उत्थान भी निहित है। आज हमारा देश नाभिकीय शक्ति , अंतरिक्ष उपलब्धियों , सशक्त सेना से परिपूर्ण है। औद्योगिक विकास , इंफ्रास्ट्रक्चर प्रगति पर है। इतना कुछ होने के बाद भी हम विकासशील हैं। आज भी हम पूर्ण रूप से विकसित नहीं हैं आखिर क्यों ? कभी हम विश्वशक्ति हुआ करते थे , पर धीरे-धीरे हमारे लालच , स्वार्थ , भोग विलास का फायदा उठाकर बाहरी शक्तियों ने टुकड़ों में आके लूटा , फिर आकर राज करने लगे हम पर। पहले मुग़ल , फिर अंग्रेज़ इस तरह हम गुलामी के गहरे दलदल में फंसते चले गये। जब हमारे सम्मान को कुचला जा रहा था तब एक दर्द अंदर पनपके इस अपमानित और अभ

नाम उसका अहंकार [Poem in Hindi ]

वंश का विध्वंस करता ,नाम उसका अहंकार। ना हो तो जीवन सुखद , अन्यथा है प्रलयंकार। मुझको दबा रखता सदा, "मैं" को ही करता उजागर। दिखलाता मुझे मरुस्थल, हूँ असल में मैं तो सागर। परमार्थ है मेरा स्वभाव ,ये स्वार्थ सिंधु में डुबोता। ना होता गर अहंकार ,तो आज में कुछ और होता। पंचतत्वों से हूँ जन्मा ,उनमे ही मिल जाऊँगा। ना जाने क्यों ये भ्रमित करता, कि मृत्युंजय बन जाऊँगा। हूँ राम मैं भी किन्तु ये ,रखे दूर उनसे मुझे। मुझसे मुझको दूर करके,जाने क्यों परखे मुझे। आदि मेरा शांत था ,तो अंत भी तो शांत हो। मिटे अहम् का ये तिमिर ,चित्त फिर प्रशांत हो। ज्ञान मेरा लुप्त करता ,मुर्ख सा बन जाता हूँ। मेरा ही हो गर हितेषी ,उस पर ही तन जाता हूँ। सबको लगता हूँ मैं दोषी,लेकिन मैं होता नहीं। चाहता तो हूँ बहुत लेकिन, चाहके भी रोता नहीं। ये मुझे ना जाने किस ,गर्त में ले जाएगा। ना जाने मेरा दमन करके ,इसको क्या मिल जाएगा। अगले  भवों  में अहंकार से ,कलुषित  ना हो जीवन मेरा । विनती है प्रभु हाथ जोड़के , पावन रखना बस मन मेरा। अहम् के चंगुल से हम सबको ,जब  आज़ादी मिल जाएगी। स्वर्ग से

LET ME REST IN PEACE

#Poemonlife #condolence #RIP The day I came into this world, There was bliss all around. It was elation  for the baby , A lively toy of seven  pound. Both are the truth of life, The birth’s glee ,and death’s  mourn. My death started chasing me, At the moment I was born. Life and death are eternal, Both are not an epiphany. When loved ones are leaving us, we reckon all this as tyranny. Don’t blame the god ever , Don’t cry for my demise. We all are like the sun , As it sets and then rise. Don’t waste your tears on me, As I am on a new voyage. Flying freely like the birds, After breaking this old cage. Please accept my apologies for, I did  knowingly - unknowingly. It will make me content enough and will fulfill me amply.     I don’t remember the smiling faces When I was a neonate. I shall bid you all adieu , Keep smiling as your trait. We know that life on earth, Is always on the lease. After a life  long journ

कोरोना हारेगा [Hindi Poem on Corona]

सभी वायरस और बेक्टेरिआ ने मीटिंग है बुलवाई,  ना जाने क्या अचानक उनके मन में आई। एक आलसी बोला क्यों कर है बुलवाया, ऐसा क्या आपातकाल अपनी जान को आया। क्या इंसानों ने फिर से कोई घातक यन्त्र बनाया, या फिर अपनी फ़ौज को हमरे लिए लगाया। दूजा बोला मूर्ख कहीं के, नहीं पता क्या तुझको, नहीं जानता हमें कोई अब, दुनिया ने भुला दिया है हमको। एक चाइना वाले ने ऐसा आतंक मचाया है, सारी दुनिया पर वह मौत का बादल बन छाया है। हम सबके जीवन में भी, ये रेसिसन आया है, हमने कुछ भी किया है गर, पर नाम उसी का आया है। डेंगू वाला वायरस बोला, ये कैसी अनहोनी है, चाइना से आई कोई चीज़, क्या इतनी चालू होनी है। घडी, टैब सब बंद हो गये, किस्मत का सूरज ढल ग्या, चाइना का ये माल न जाने, इतना कैसे चल ग्या। ये तो हम सबसे भी ज़्यादा धूर्त, क्रूर है लगता, सुना शिकार के लिए ये तो वर्ल्ड टूर है करता। सब देशों में फ़ैल-फ़ैल के सबकुछ छीन लिया है, सारी खुशियों को उसने जहाँ से बीन लिया है। अब बोलो हम क्या करेंगे, कैसे सर्वायव करेंगे, ये हालात तो एक-एक कर हमको गायब करेंगे। बुजुर्गवार बोले घबराओ नहीं,

ASHA -How to get rid of all the fear?

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नरश्रेष्ठ भीष्म पितामह [Story of Warrior Bhishm Pitamah]

मैं भीष्म पितामह के बारे में यह कहना चाहता हूँ कि उन जैसा सर्वशक्तिमान उन जैसा आदर्श, दृढ़ निश्चयी कोई भी नहीं हुआ। उनका जीवन बहुत बड़ी प्रेरणा है हम जिन बलिदानों के बारे में सोच भी नहीं सकते वह बलिदान पलक झपकते ही कर दिया जब भी उनसे किसी ने कुछ मांगा उन्होंने अपनी खुशियों का बलिदान करके उसको वह दिया बस इसी बलिदान की श्रंखला में उनसे जो बन पड़ा उन्होंने किया। इन्हीं प्रतिज्ञाओं के बाद उन्हें भीष्म नाम मिला। मैंने सोचा क्यों हुआ यह सब भीष्म पितामह के साथ क्यों हुआ जब मैं इसको जानने के लिए उत्सुक हुआ तो मैंने उसके बारे में जानने की जहाँ-जहाँ से कोशिश कर सकता था मैंने की। मैंने यह जानने की कोशिश की कि क्यों गंगा के सातों पुत्र जाने के बाद आठवें पुत्र के समय उनके पिता ने उन्हें क्यों रोका फिर मैंने देखा कि भीष्म पितामह को जिनका के नाम देवव्रत था वह ऋषियों के आश्रम में चले गए जहाँ उन्होंने शिक्षा-दीक्षा ली। उन्होंने बहुत सारा ज्ञान अर्जित किया एक योद्धा बने और जब राजा शांतनु को मिले तो राजा शांतनु बहुत खुश हुए। उनको जब राजा शांतनु ने उनको युवराज घोषित किया तो प्रजा भी बहुत खुश थी। जब रा