नरश्रेष्ठ भीष्म पितामह [Story of Warrior Bhishm Pitamah]
मैं भीष्म पितामह के बारे में यह कहना चाहता हूँ कि उन जैसा सर्वशक्तिमान उन जैसा आदर्श, दृढ़ निश्चयी कोई भी नहीं हुआ। उनका जीवन बहुत बड़ी प्रेरणा है हम जिन बलिदानों के बारे में सोच भी नहीं सकते वह बलिदान पलक झपकते ही कर दिया जब भी उनसे किसी ने कुछ मांगा उन्होंने अपनी खुशियों का बलिदान करके उसको वह दिया बस इसी बलिदान की श्रंखला में उनसे जो बन पड़ा उन्होंने किया। इन्हीं प्रतिज्ञाओं के बाद उन्हें भीष्म नाम मिला। मैंने सोचा क्यों हुआ यह सब भीष्म पितामह के साथ क्यों हुआ जब मैं इसको जानने के लिए उत्सुक हुआ तो मैंने उसके बारे में जानने की जहाँ-जहाँ से कोशिश कर सकता था मैंने की। मैंने यह जानने की कोशिश की कि क्यों गंगा के सातों पुत्र जाने के बाद आठवें पुत्र के समय उनके पिता ने उन्हें क्यों रोका फिर मैंने देखा कि भीष्म पितामह को जिनका के नाम देवव्रत था वह ऋषियों के आश्रम में चले गए जहाँ उन्होंने शिक्षा-दीक्षा ली। उन्होंने बहुत सारा ज्ञान अर्जित किया एक योद्धा बने और जब राजा शांतनु को मिले तो राजा शांतनु बहुत खुश हुए। उनको जब राजा शांतनु ने उनको युवराज घोषित किया तो प्रजा भी बहुत खुश थी। जब रा...