कहते हैं उसको वनिता, औरत, स्त्री और नारी
कहते हैं उसको वनिता, औरत , स्त्री और नारी। होती है ये कई तरह की मासूम , प्यारी , अत्याचारी॥ इनके ही सहयोग से रामायण , महाभारत युद्ध हुए। रामानंद सागर उनकी ही कृपा से प्रसिद्ध हुए॥ मुखारबिंद को आराम नहीं जब तक निद्रा ना आये। शुरू हुए जो प्रवचन फिर अगला कुछ बोल नहीं पाए॥ जहाँ मिली दो स्त्री फिर सम्मेलन शुरू हो जाता है। कानों के परदे फ़टते हैं सरदर्द शुरू हो जाता है॥ पति से कहती देखो हम कितने रूपये बचाते हैं। मूक पति समझे है कि बचाके कहाँ लगाते हैं॥ अक्षरा , ईशिता जैसी साड़ी कैटरीना जैसा मस्कारा। पैडीक्योर मैनीक्योर वैक्सिंग फिर बनती हैं अदाकारा॥ पति करे तारीफ़ तो झूठा ना करे तो यू डोंट लव मी। इसी ऊहापोह में बेचारा बिताता है अपनी ज़िंदगी॥ साढ़े आठ के बाद तो बस क्या बच्चे क्या मियाँ हमारा। ईडियट बॉक्स ही घर बन जाता अपने घर से करें किनारा॥ सब्ज़ी वाले से भिड़ती हैं दूध वाले से लड़ती हैं। जहाँ भी शॉपिंग करने जाती जैसे चढ़ाई करती हैं॥ लेने जाती बेटी का ट्यूनिक बस वही लाना भूल जाती हैं। साड़ी , सैंडल , ड्रैस , ज्वैलरी अपने संग ले आती हैं॥...