हिम्मत और धैर्य ये दो वो शस्त्र हैं जिनके पास होने से हम इतने ताकतवर हो जाते हैं कि हम हर मुश्किल ,विपरीत ,जटिल परिस्थितिओं से बाहर आ सकते हैं। जंग हमारे अंदर की हो बाहर की हो हर जंग में विजयी हो सकते हैं, क्यूँकि ये हमें वो आत्मबल प्रदान करती हैं कि हम निराशावादी वक़्त की गिरफ्त में रहकर भी आशावादी भविष्य की सोच रखके उस जानलेवा समय से भी बाहर आ जाते हैं। मैं इन ताकतों को पहचान चुका हूँ और आज ये ताकतें ही हैं की मैं आज ये लिख पा रहा हूँ। मैने जब अपने सबसे अज़ीज़ ,मेरे आदर्श ,मेरे दादाजी को खोया तब मुझे लगा जैसे अब सिर्फ शरीर ही बचा है मेरी आत्मा तो जा चुकी है। आज से तक़रीबन १२-१५ वर्ष पहले जब दादाजी ने मेरा जीवन बीमा करवाके मुझसे कहा था कि "जब तक हम हैं तब तक हम भरेंगे ,हमारे बाद तुम " इतना सुनते ही मैं बहुत तेज़ रोया था उनसे लिपटकर। मुझे हमेशा इस ख़याल से ही दर लगता था कि उनसे बिछडके मैं जीऊंगा कैसे????? आज वो नहीं हैं मेरे पास लेकिन मै जब दुनिया से जाऊँगा तभी समझूंगा कि अब मेरे दादू मेरे साथ ही जा रहे हैं,तब तक वो मेरे अंदर हमेशा रहेंगे। और शायद उन्ही को आत्मसात करन...