मानवता तो विलुप्तप्राय सी खोती हुई भावना है

सामंजस्यता का अभाव है ,वैमनस्यता का प्रभाव है।
मानवता तो विलुप्तप्राय सी, खोती हुई भावना है।।

धैर्य ,प्रेम और विनम्रता से,वंचित है हरएक इंसान।
क्रोध,ईर्ष्या से भरे हुए हैं,हावी है सब पर अभिमान।
हर तरफ दिख रहे अनाचार ,अत्याचार व  प्रताड़ना है।
मानवता तो विलुप्तप्राय सी, खोती हुई भावना है।।

सामंजस्यता का अभाव है ,वैमनस्यता का प्रभाव है।
मानवता तो विलुप्तप्राय सी, खोती हुई भावना है।।

गिर गए हैं मूल्य जीवन के ,मानसिकता विकलांग हुई है।
नीरस सी हो रही ज़िन्दगी ,ये दुनिया बेरंग हुई है।
क्या ऐसे ही जीते -जीते ,हमको वक़्त बिताना  है।
मानवता तो विलुप्तप्राय सी, खोती हुई भावना है।।

सामंजस्यता का अभाव है ,वैमनस्यता का प्रभाव है।
मानवता तो विलुप्तप्राय सी, खोती हुई भावना है।।

ना है दिल में किंचित भी दया है ,ना है किंचित भी







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